प्राज्ञ स्वाध्याय भवन में महासाध्वी प्रवीणाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा का मंगल प्रवचन
भीलवाड़ा (नौरतमल गुगलिया)। अनंत पुण्यवानी से हमे मनुष्य जन्म प्राप्त हुआ है ओर पुण्यों के कारण ही आर्य क्षेत्र,उत्तम कुल ओर जिनवाणी श्रवण करने का सुअवसर मिला है। धर्म का मर्म समझकर सही रूप से जीवन में उतारेंगे तो आत्मा अवश्य पावन बनेगी ओर मुक्ति की राह पर आगे बढ़ जाएगी। ये विचार युगदृष्टा आचार्य श्री ज्ञानचंद्रजी म.सा. की आज्ञानुवर्ति परम विदुषी तप दीप्ति महाश्रमणी रत्ना महासाध्वी श्री प्रवीणाश्रीजी म.सा. के सानिध्य में साध्वी नम्रताश्रीजी म.सा. ने श्री अरिहन्तमार्गी जैन महासंघ के तत्वावधान में भीलवाड़ा के श्री प्राज्ञ स्वाध्याय भवन में शनिवार को प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जिस तरह कई बार प्रतिभावान छात्र भी एक नंबर से आईएएस ओर सीए जैसे परीक्षा में अटक सकता है तो उसी तरह कषाय रूपी कचरा आत्मा को मोक्ष जाने से रोक सकता। इसके लिए समकित को मजबूत बनाना होगा। हमारा समकित मजबूत बने इसके लिए दान,परोपकार ओर परमार्थ की भावना रखनी होगी। राग द्धेष जैसे कषाय को कम करना होगा। साध्वी न्रमताश्रीजी ने कहा कि हम आज यहां से सीधे मोक्ष नहीं जा सकते लेकिन एकाभवतारी अवस्था को प्राप्त कर सकते है। वितरागवाणी आत्मा को पावन ओर निर्मल बनाने वाली है। हमे मानव भव मिला है तो वितराग प्रभु की वाणी श्रद्धापूर्वक श्रवण करनी चाहिए। हमे अपनी आत्मा को पहचानना होगा। अभी हम कई ऐसे कार्य करते जो अपनी आत्मा गवाह नहीं देती लेकिन हम उसकी परवाह नहीं करते इसलिए दुःखों का अंत नहीं हो पाता है। आत्मा को खोज लिया तो संसार में फिर कुछ और खोजने की जरूरत नहीं रह जाएगी। धर्मसभा में साध्वी जागृतिश्रीजी म.सा. साध्वी स्वर्णरेखाजी म.सा.,अतुलप्रभाजी म.सा., निर्जराश्रीजी म.सा., निसर्गश्रीजी म.सा.,केवलीश्रीजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। चातुर्मास में प्रतिदिन तेले की लड़ी चल रही है। एक गुप्त तपस्वी ने तेला तप के पच्चक्खान लिए। कई श्रावक-श्राविकाओं ने बेला,एकासन, आयम्बिल, उपवास आदि तप के पच्चक्खान भी लिए। श्री अरिहन्तमार्गी जैन महासंघ द्वारा अतिथियों का स्वागत अभिनंदन किया गया। धर्म सभा का संचालन महावीर पोखरना ने किया। धर्मसभा में विभिन्न क्षेत्रों से गुरूभक्त पधारे ओर दर्शन व धर्मलाभ प्राप्त किया। नियमित प्रवचन सुबह 8.45 से 9.45 बजे तक हो रहे है।
