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चारागाह की 1600 बीघा जमीन को खनि अभियंता ने जिन्दल शॉ के हक में कराया पंजीयन



  • दयाराम दिव्य

भीलवाड़ा – राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन जिन्दल शॉ लिमिटेड की जिद के आगे मौन होकर सैकड़ों बीघा चारागाह भूमि को पंजीकृत करवाकर चारागाह के साथ ही आम जनता के अधिकारों एवं कानून की धज्जियां उड़ा रहा है, ऐसा ही एक मामला जिन्दल शॉ लिमिटेड द्वारा दिनांक 04.05.2012 को खनन पट्टे के वास्ते जिन्दल ने खनिज गोल्ड, सिल्वर, लेड, जिंक, कॉपर, आयरन, कोबाल्ट, निकल एवं एसोसिएटेड़ मिनरल्स निकट ग्राम लापिया तहसील बनेड़ा जिला भीलवाड़ा के क्षैत्र में 433.1033 हेक्टर शासन के आदेश क्र. प.17(158) खान/गु्रप-2/05 जयपुर दिनांक 10.10.2011 द्वारा मैसर्स जिन्दल शॉ लिमिटेड के नाम पर भीलवाड़ा के तत्कालीन अधीक्षण खनि अभियंता अविनाश कुलदीप ने जरिये रजिस्टर्ड रजिस्ट्री दो गवाह हरक लाल विश्नोई पुत्र मांगी लाल विश्नोई एवं दूसरे गवाह श्री गुरविन्दर सिंह पुत्र श्री सेवा सिंह निवासी भीलवाड़ा के गवाह के आधार पर अविनाश कुलदीप ने जिन्दल के हक में दिनांक 01.04.2012 को निष्पादन कर दी, जबकि नियम यह है कि उपखण्ड अधिकारी 05 बीघा, कलेक्टर 25 बीघा जनहित के प्रयोजनार्थ हेतु आवंटित कर सकते है। उद्योग एवं प्राईवेट क्षैत्र को देने के लिये भी राजस्व कड़े नियम एवं कायदे है। लेकिन नियमों के अनुसार जो चारागाह भूमि अन्य राजकीय कार्य एवं जनहित में दी जाती है, उनके बदले में उतनी ही भूमि चारागाह के लिये आरक्षित करनी पड़ती है, लेकिन भाजपा एवं शासन के दोनों ही कार्यकाल में जिन्दल ने कानून एवं संविधान की धज्जियां उड़ाकर जन आंदोलन, जनहित के मुद्दे एवं प्रशासनिक मौनता के कारण सैकड़ों बीघा चारागाह भूमि जिन्दल के हक में दे दी गई है, जो जिन्दल शॉ लिमिटेड की मनमर्जी एवं जिद के आगे आम जनता, शासन, सरकार एवं संवैधानिक अधिकारों के साथ ही समस्त प्रकार के नियम, कानून व कायदे गौण साबित हुये है। जिन्दल की जिद देखिये कि लगातार कानूनों की अनदेखी, काश्तकारों की भूमि को किराये पर लेकर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ बनाने के साथ ही आरक्षित चारागाह, तालाब, जोहड़ एवं धार्मिक स्थलों तक को खनन की जिद में लेकर पर्यावरण को चुनौती के साथ ही टेस्टिंग के नाम पर हजारों-लाखों टन खनिज सम्पदा का दोहन कर रहा है।
द मूवमेन्ट ऑफ इण्डिया ने जिन्दल शॉ लिमिटेड के खिलाफ लगातार 10 वर्षों से जनहित मंे मोर्चा खोलते हुये व्यापक स्तर पर सरकार व शासन को अवगत कराया है, जिसमें तत्कालीन पूर्व सांसद सुभाषचन्द्र बहेड़िया ने लोकसभा मंे जिन्दल की हठधर्मिता को लेकर कई बार मामले उठाये है।
जिन्दल शॉ लिमिटेड के प्रबन्धन एवं स्थानीय मैनेजमेन्ट कमेटी द्वारा राजनैतिक संरक्षण एवं प्रशासन पर दबाव बनाकर कानून एवं नियमों को धत्ता बताते हुये कई आरोप साबित हो चुके है।
अब सवाल उठता है कि जिन्दल द्वारा सिंचाई विभाग के नहर की जमीन को भी खनन के रूप मंे काम में लेकर पानी के आवक तक को रोक चुका है। वहीं पर्यावरण की अनदेखी कर चारागाह एवं तालाब के पेटे जैसे क्षैत्र में अवैध खनन कर सरकार का लाखों-करोड़ का राजस्व तक डकार गया है, इसी की यह बानगी है कि शासन के नाम पर बगैर प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की पर्यावरणीय स्वीकृति एवं आमजनता के सुझाव/आपत्ति की अधिसूचना के बगैर दिनांक 04.05.2012 को नियमों के विरूद्ध 433.1033 हेक्टर यानी की लगभग 1600 बीघा जमीन जो कि सुरास, दरीबा, धूलखेड़ा, लापिया, बनेड़ा की जमीन को अधिग्रहित कर चुका है, इसके बदले में सरकार के नियम, पर्यावरण के आदेश एवं खनिज विभाग की हठधर्मिता ने सारे कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुये संवैधानिक अधिकारों का हनन कर चारागाह तक को हड़प चुके है।
जिन्दल के ऐसे अनेक कारनामों को दर्जनों गांवों के ग्रामीण लगातार आंदोलन कर रहे है, लेकिन जिन्दल एवं खनिज विभाग के गठबंधन के चलते कानून की खिल्ली उड़ाई जा रही है। जिसका परिणाम यह हुआ कि अधीक्षण खनि अभियंता नियमों के विपरीत जाकर लगभग 1600 बीघा चारागाह की जमीन जिन्दल के नाम पर पंजीयन निष्पादित करा देता है। लगातार…

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